Tuesday, September 17, 2013

अनंत चतुर्दशी


गणपति बाप्पा मोरया … मंगल मूर्ति मोरया  …

अपनी रोजमर्रा की जिंदगी से परेशान  लोग ,ब्रेकिंग न्यूज़ की बाढ़ में बह जाने वाले लोग ,अब तो प्याज़  के बदले टमाटर काटते है तब भी आंसू निकल जाते है ऐसी महेंगाई में खुद के परिवार की ख़ुशी के लिए रात दिन दौड़ने वाले लोग,…  सभी के चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई है. और भाई,आखिर ख़ुशी क्यों ना हो? सृष्टि के सर्जनहार,सुखकर्ता,दुखहर्ता,विघ्नविनाशक गणपति जो हमारे बिच हमारे साथ घर पर रहने आये है।



सचमुच हमारे ऋषियो ने हमारी मानसिकता के बारे में सोचकर हमें उत्सव का माध्यम  देकर हमें  नव पल्लवित कर दिया है। और विश्व का सञ्चालन करने वाली शक्ति हमारे साथ रहेने आती है यह विचार ही अपने आप में कितना उत्साह प्रेरक है।

 "घर"- यह सिर्फ ४ दीवारों को खड़ा करने से नहीं बनता ,उसकी नीव में जरूरी है परिवार के हर सदस्य के लिए प्रेम,एक दुसरे के लिए समाधान करने की तयारी,हक़ से ज्यादा कर्त्तव्य के लिए तत्परता,घर के बुजुर्गो का आदर और छोटे के लिए  स्नेह.. लेकिन आज कई जगह इससे विपरीत दृश्य दिखाई देते है। साँस-बहु की पारंपरिक सीरियल जैसा वातावरण, nuclear Family,हर बात में दलील और खुद की बात मनवाने का दुराग्रह  … ऐसे में जब भगवान हमारे घर आते है तब  घर में पवित्रता और शांति का माहोल खड़ा होता है.  एक आदर्श नेता जैसे सभी को साथ लेकर चलता है वैसे "गण -पति " परिवार के सभी सदस्यों को आरती और पूजा के बहाने एक कर देते  है. घर में पारिवारिक एकता बढाती है. Virtual world की दुनिया में गजानन के दर्शन के लिए आये सगे-सम्बन्धी,मित्र वर्ग सभी के साथ व्यक्तिगत मिलना होता है।

परिवार में आया हुआ सुख भगवन आपके साथ बांटते है तो वह ख़ुशी कई गुना बढ़ जाती है। वैसे ही जीवन में आई हुई निष्फलता ,आया हुआ दुःख भगवन आपके सामने रखते है तो वह दुःख सहन करनेकी ताकत भीतर से खड़ी होती है। और "प्रत्यवायो न विद्यते " की तरह वह दुःख ,दुःख ही नहीं लगता बल्कि मुझे  और मज़बूत करने के लिए आपके  भेजे हुए प्यार की अनुभूति होती है। 

सच में ,अकेले आपके सामने बैठते है तब लगता है की मेरा सुख दुःख सुनने के लिए कोई तैयार नहीं है लेकिन " त्वमेव केवलं कर्तासी .. " ऐसे आप मेरी हर कृति में "हृदयस्थ " बनकर मेरे साथ रहते हो,यह सोचकर ही मन भाव विभोर बन उठता है।

आप हमारे घर आये,घर को पवित्र,मंगलमय,शुद्ध  बनाया लेकिन अनंत चतुर्दशी को आप चले जाते है। घर का एक सदस्य जा रहा हो उतनी पीड़ा होती है।  "गणपति चालले गावाला  चैन पड़े न आम्हाला "

आपकी हर कृति सहेतुक होती है,आपका आनाभी हमारा विकास  करता है और आपका जाना भी  … सिर्फ मूर्ति में ही भगवन देखने वाले हम; आप हमें अनंत में भी इश स्पर्श देखने का सन्देश देते है।  सगुण  साकार स्वरुप का निर्गुण निराकार में विलन  यानि अनंत चतुर्दशी। जितने उत्साह से आपका आगमन उतने ही उत्साह से आपका विसर्जन  … इस विसर्जन से मन दुखी जरूर  होता है लेकिन अगले साल आप फिर से हमारे साथ रहेने आयेंगे इसकी ख़ुशी भी है। "गणपति बाप्पा मोरया  अगले बरस तू जल्दी आ " की भावना हर गणेश भक्त के दिल में होती है।

हमारे घर जब कोई मेहमान आते है तो हम उनकी आगता-स्वागता में जान लगा देते है लेकिन भगवन हमे तो आपसे ही सब कुछ मिला है ,हम आपको क्या दे? आपसे सदैव जुड़े है यह सम्बन्ध की समज हममे स्थिर हो। और अगले साल जब आप वापिस आओ हम हमारे जीवन के आर्थिक,सामाजिक,आद्यात्मिक और भावनिक पहेलु में और प्रगतिशील बने यही अभ्यर्थना। …. !!!

नमोव्रातपतये नमोगणपतये नमः प्रमथपतये नमस्तेअस्तुलंबोदरायैकदंताय विघ्ननाशिने शिवसुताय श्रीवरदमूर्तयेनमः। 

--- सौमिषा

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