गाफिल यु वक़्त न बिता ऐसे ही ...
जिन्दगी हे छोटी सी कुछ नया कर ...
परेशानी तो युही छूती ही रहेगी ..
अपने आपको ज़माने से उचा कर ...
क्या भरोसा अगले ही पल का ,कया हिसाब रखना ..
जो भी मिले उसे अपनाके गुनगुनाता चल ...
सबकुछ बदल जायेगा किस्मत भी ,शोहरत भी ..
एकबार तू अपने आप में ही आप को जीता चल ...
इंसानों की बस्ती में यहाँ हेवान मिला करते हे अक्सर ..
रुसवा हुआ किसी से तो भुलाकर चलाकर ..
अजीब हे जिन्दगी ,यहाँ हजारो भरम हे ..
तू शुरवीर ,धर्मवीर अड़ग होकर चला कर ....
-सौमिषा